
गुरुग्राम। संत समाज द्वारा दो दिवसीय धर्म संसद की शुरुआत की गई। पहले दिन संसद में अखिल भारतीय संत परिषद के राष्ट्रीय संयोजक यति नरसिंहानंद सरस्वती ने कहा कि देश में हिंदू समाज के प्रति दिन-प्रतिदिन अत्याचार बढ़ रहे हैं। समाज को संगठित होना पड़ेगा। धर्म संसद में 5 से कम बच्चे पैदा करने वाले व्यक्ति को सच्चा हिंदू ना माना जाए, पाकिस्तान को आतंकवादी देश घोषित करने के लिए सभी संतों के रक्त से प्रधानमंत्री को पत्र लिखा जाए साथ ही जातीय वैमनस्यता को खत्म करने के लिए देश के प्रमुख नगरों में हिंदुओं की 36 बिरादरियों की पंचायत का आयोजन किया जाए आदि प्रस्ताव पारित हुए।
साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि हिंदू समाज को अपने धर्म के मूल की ओर आना पड़ेगा और धर्म का मूल भगवान श्रीराम, श्रीकृष्ण और परशुराम हैं। हमें इनके नाम जप की नहीं, अपितु इनके जैसा बनने की जरूरत है और इसका एकमात्र रास्ता श्रीमद्भगवद गीता के मार्ग से होकर जाएगा। यदि समाज के व्यक्ति ने जीवन में गीता के 3 मुख्य सूत्र योग,यज्ञ और युद्ध को नहीं अपनाया तो शीघ्र ही हिंदू समाज का विनाश हो जाएगा। जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती महाराज और प्राचीन देवी मंदिर डासना की महंत यति मां चेतनानंद सरस्वती ने कहा कि राजनीतिक हस्तक्षेप के कारण सेना का मनोबल गिरता जा रहा है। देश की सुरक्षा में तैनात जवान अपनी जान की परवाह किए बिना सीमा पर पहरा दे रहे हैं।
कार्यक्रम के आयोजक विक्रम सिंह यादव ने बताया कि साधु व संतों ने रक्त से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम 5 सूत्रीय पत्र लिखकर मांग की है कि कठोर जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाया जाए। इस दौरान महामंडलेश्वर स्वामी बालकानंद गिरी महाराज, दिलीप सिंह महाराज, स्वामी नारायण गिरी महाराज, महामंडलेश्वर स्वामी प्रज्ञानंद गिरी महाराज, स्वामी सर्वानन्द सरस्वती महाराज, महामंडलेश्वर स्वामी हरिओम गिरी महाराज, महामंडलेश्वर स्वामी नवलकिशोर दास महाराज, यति कृष्णानंद सरस्वती महाराज ने भी संबोधित किया।